हम सभी का कोई–न–कोई राज़ होता है। हम सभी की छुपी ख्वाहिशें होती हैं। और हां, हम ऐसे काम भी करते हैं जिनका हमें बाकायदा पता होता है कि इनमें दम भरने वाली कोई बात नहीं। लेकिन, अगर हम जैसे हाड़–मांस के पुतले ये सब नहीं करेंगे तो आखिर करेगा कौन?
हम सभी का कोई–न–कोई राज़ होता है। हम सभी की छुपी ख्वाहिशें होती हैं। और हां, हम ऐसे काम भी करते हैं जिनका हमें बाकायदा पता होता है कि इनमें दम भरने वाली कोई बात नहीं। लेकिन, अगर हम जैसे हाड़–मांस के पुतले ये सब नहीं करेंगे तो आखिर करेगा कौन?