Friday, November 22, 2024
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औरतें जंक-फूड को मना क्यों नहीं कर सकतीं?

किशोरअवस्था में एक हेल्दी डायट लेने से पुरुषों में जंक-फूड के प्रति ललक कम हो सकती है, महिलाओं में नहीं। ये एक शोध में पाया गया है।

FASEB जर्नल में प्रकाशित ये शोध ये भी दर्शाता है कि जंक-फूड के प्रति ललक की तीव्रता गर्भावस्था के अंतिम चरण के दौरान मां की डाईट पर भी निर्भर करती है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि वयस्कता की ओर बढ़ते हुए विकास के दो नाज़ुक चरण होते हैं जब जंक-फूड बेहद हानिकारक होता है, खासकर जब संतान मादा हो।

ऑस्ट्रेलिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एडीलेड में शोधकर्ता जेसिका गुगुशेफ कहती हैं, “हमारे शोध बताता है कि इंसानों में गर्भावस्था के अंतिम पड़ाव में बहुत ज्यादा जंक-फूड खाने से बच्चे पर ज्यादा खतरनाक प्रभाव पड़ता है बनिस्पत गर्भावस्था के शुरूआती दौर में खाए गए जंक-फूड से”।

गुगुशेफ कहती हैं,  “ये इस बात का भी अहम संकेत देता है कि अगर गर्भावस्था के शुरुआती दौर में मां ने ज्यादा जंक-फूड खाया है तो गर्भावस्था के अंतिम चरण के दौरान इस जंक-फूड के नेगेटिव इफेक्ट को अच्छी डाईट खाकर खत्म किया जा सकता है।

शोध के मुताबिक वहीं किशोरअवस्था में भी जंक-फूड के प्रति ललक से निपटा जा सकता है। गुगुशेफ कहती हैं, “हमने नर और मादाओं के बीच कई फर्क पाए हैं। हमारे प्रयोग बताते हैं कि किशोरअवस्था में एक हेल्दी डाइट लेने से जंक-फूड के प्रति ललक नर में कम की जा सकती है, मादा में नहीं”।

माना जाता है कि जंक-फूड को तरजीह नॉर्मल रिवार्ड सिस्टम की डीसेन्सेटाइज़ेशन की वजह से होती है, जो स्वादिष्ट हाई फैट, हाई शूगर डाईट की वजह से उत्तेजित होता है।  जिन संतानों का रिवार्ड सिस्टम कम संवेदनशील होता है उन्हें स्वाद लेने के लिए ज्यादा फैट और शूगर की ज़रूरत होती है।

शोधकर्ता कहते हैं, “इन दोनों ही नाज़ुक चरणों के दौरान दिमाग अपने चरम पर विकसित होता है, लिहाज़ा इस वक्त ये बदलाव के प्रति बेहद संवेदनशील होता है”।

Team Khurki
Team Khurkihttps://blogsnyou.com
KHURKI is a character who's sarcastic by birth and has sarcasm running in its veins in place of blood. Its bitter-sour tongue gives it the edge!

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