अगली बार जब आप पेंसिल आयलाईनर हाथ में उठाएं तो इस बात को ज़रूर ध्यान में रखिए कि इसके कण आपकी आंख में जाकर आपकी दृष्टि को हानि पहुंचा सकते हैं।
आय, कॉन्टेक्ट लेंस साईंस और क्लिनिकल प्रैक्टिस नाम के जर्नल्स में छपा एक शोध ज़ोर देता है कि आयलाईनर टीयर फिल्म – आंखों को सुरक्षित रखने वालीपतली परत – को प्रभावित कर सकता है और असुविधा पहुंचा सकता है।
कैनेडा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वॉटरलू की एलिसन एनजी कहती हैं, “हमने पाया कि मैकअप मायग्रेशन जल्द होता है और ये ज्यादा होता है जब आयलाईनर इनरलिड मार्जिन पर लगाया गया”।
शोधकर्ताओं ने अवलोकन करने और टियर फिल्म में घुसने वाले आयलाईनर कणों की संख्या की तुलना करने के लिए अलग-अलग स्टाइल में मेकअप लगाया और उनकी विडियो रिकॉर्डिंग की।
हर प्रतिभागी ने बाहरी लैश (पलक) लाईन के बाहर ग्लिटर लगाया और फिर अंदरूनी लिड एरिया में या वॉटरलाईन के साथ-साथ।
वैज्ञानिकों ने पाया कि पांच मिनटों के अंदर, 15 से 30 फीसदी ज्यादा कण आंख की टीयर फिल्म में घुसे जब प्रतिभागियों ने आयलाईनर लैश लाइन के अंदर लगाया, बनिस्पत बाहर के।
जब आयलाईनर लैश लाईन के अंदर लगाया गया तब मेकअप ज्यादा तेज़ी से आंख के अंदर घुसता देखा गया।
आम तौर पर आयलाईनर्स मोम, तेल, सिलिकोन्स और नैचुरल गम्स का इस्तेमाल करते हैं ताकि आयलाईनर पलक पर लंबे समय के लिए चिपके रहें।
जो मेकअप टियर फिल्म में घुसता है वो संवेदनशील आंखों या सूखी आंखों वालों को ज्यादा असुविधा पहुंचा सकता है, और उन्हें भी जो कॉन्टेक्ट लेंस पहनते हैं।