एक शोध के मुताबकि, वो लोग जो खुद को आत्मनिर्भर कहते हैं, वो तर्कसंगत आंकलन के मुकाबले अपनी भावनाओं पर आधारित ज्यादा चीज़ें खरीदते हैं।
जर्नल ऑफ कन्ज़्यूमर रिसर्च में प्रकाशित शोध के मुताबिक जो लोग खुद को कम आत्मनिर्भर समझते हैं वो वैसा सामान खरीदते हैं जो उन्हें ज्यादा फायदा पहुंचाते हैं।
इस शोध को संयुक्त रूप से करने वाले हॉंगकॉंग यूनीवर्सिटी ऑफ साईंस एंड टेकनॉलॉजी के जीवेन हॉंग और सिंगापोर मैनेजमैंट यूनीवर्सिटी के हाना चैंग कहते हैं, “हमारी भावनाएं अक्सर हमारे तर्कसंगत आंकलन के विपरीत काम करती हैं और वो उत्पाद जो हमारी भावनाओं को ज्यादा अपील करते हैं वो आम तौर पर ज्यादा काम के नहीं होते”।
एक शोध के दौरान ग्राहकों को ये कल्पना करने को कहा गया कि वो किराए पर एक अपार्टमेंट ढूंढ रहे हैं। उन्हें एक छोटे, सुंदर और अपीलिंग अपार्टमेंट और एकबड़े, खुले अपार्टमेंट के बीच चुनने को कहा गया।
जो ग्राहक खुद को ज्यादा आत्मनिर्भर समझते थे उन्होंने अपने लिए छोटे, सुंदर अपार्टमेंट को चुना, जबकि जो खुद को कम आत्मनिर्भर समझते थे उन्होंने बड़े, खुले अपार्टमेंट को तरजीह दी।
एक अन्य शोध में एक बेहतरीन तरीके से डिज़ाइन किए गए लैपटॉप और एक पावरफुल लैपटॉप के बीच चुनने को कहा गया। वो ग्राहक जो खुद को ज्यादा आत्मनिर्भर समझते हैं उन्होंने डिज़ायनर लैपटॉप चुना जबकि जो खुद को कम आत्मनिर्भर समझते हैं उन्होंने पावरफुल लैपटॉप का चुनाव किया।