क्या आप नहाते वक्त, सेक्स के दौरान, टॉयलेट में या फिर किसी के अंतिम संस्कार में टेक्सटिंग के आदि हैं?
अगर हां, तो टेक्सट चेक करने और वापस जवाब देने के इस लालच या लोभ से दूर रहने की कोशिश करें और वर्तमान स्थिति पर ध्यान देने की कोशिश करें।
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पेनसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक युवाओं को ये पता होता है कि सेक्स या किसी के अंतिम संस्कार के दौरान टेक्सट करना बुरी बात है, लेकिन फिर भी वो ये काम करते हैं।
सोशल साईंस जरनल में छपे एक लेख में मनोविज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर मरीसा हैरिसन कहती हैं, “स्मार्ट फोन्स की टिमटिमाती रोशनी आपको कई मौकों या फिर किसी खतरे का आभास कराती हैं जिसकी वजह से लोग वर्तमान स्थिति से ध्यान हटाकर भविष्य पर ध्यान एकाग्रित करते हैं”।
शोधकर्ता इस ओर इशारा करते हैं कि कॉलेज के छात्र ना सिर्फ टेक्सटिंग के व्यवहार में नए कायदे गढ़ रहे हैं, बल्कि इन कायदों को तोड़ने के लिए वे उतने ही प्रलोभित होते हैं।
शोधकर्ता ने 152 नौजवान छात्रों का सर्वे किया जिसमें उनसे विभिन्न परिस्थितियों के दौरान टेक्सटिंग और उनकी आम टेक्सटिंग आदतों के बारे में 70 सवाल पूछे गए।
सर्वे में छात्रों ने माना कि वो अंतिम संस्कार, शावर, सेक्स और टॉयलेट के दौरान टेक्सट कर चुके हैं।
जहां अधिकतर छात्रों ने कहा कि नहाते वक्त टेक्सटिंग सामाजिक रूप से अस्वीकार्य है, वहीं 34 फीसदी से अधिक का कहना था कि वो फिर भी ये करते हैं।
लगभग 7.4 फीसदी छात्रों का कहना था कि सेक्स के दौरान वो टेक्सट कर चुके हैं, हालांकि उन्होंने माना कि ये गलत है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक बाथरूम में या खाते वक्त टेक्सट करना, कॉलेज के छात्रों के लिए अब आम बात हो गई है।