मानो या ना मानो…. रूमी ने एक रात में अपनी पत्नी के साथ 80 बार सेक्स किया था, और वो भी तब जब वो बाई–सेक्सुअल थे– यानि पुरुषों और स्त्रियों के प्रति एक समान आकर्षण रखते थे।
रबींसकर बहल के उपन्यास, “अ मिरर्रड लाईफ – द रूमी नॉवल” की मानें तो ये बात बिल्कुल सच है। अरुनव सिन्हा द्वारा अनुवादित इस किताब में रूमी को लेकर ऐसे कई रोचक तथ्यों का ज़िक्र है।
जलालुद्दीन मोहम्मद रूमी 13वीं शताबदी के फारसी कवि, धर्मशास्त्री, इस्लामिक विद्वान, ज्ञानी और सूफ़ी संत थे।
दक्षिण–मध्य एशिया के देशों में रूमी की विचारधारा का खासा प्रभाव रहा है। ईरानियों, तुर्कों, तजीकियों, यूनानियों, पश्तूनों जैसे दक्षिम–मध्य एशिया के मुसलमानों ने उनकी आध्यात्मिकता को पिछली सात शताब्दियों से सराहा है।
उनकी कविताओं का विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। रूमी को अमेरिका में मुसलमानों का “सबसे विख्यात कवि” और “बेस्ट सेलिंग पोयट” माना गया है।
रूमी की कविताओं ने अमेरिका के बिलबोर्ड्स टॉप 20 लिस्ट में में भी अपनी जगह बनाई है। उनकी अनुवादित कविताओं पर मडोना, गोल्डी हॉन, फिलिप ग्लास और डेमी मूर जैसी हॉलिवुड हस्तियां अपनी परफोरमेंस दे चुकी हैं।
हालांकि रूमी के बारे में लेखक ने जिन लेखों को आधार बनाया है उनकी विश्वस्नीयता को लेकर वो खुद भी आश्वस्त नहीं हैं। ये असली हसम ने लिखे थे या फिर नकली हसम ने, उन्हें ये भी मालूम नहीं हैं। हसम–ए–चलाबी रूमी के सबसे प्रिय छात्र थे और उनके लेखक के तौर पर उनके साथ रहे थे।
अपनी बीरी कीरा खातून के साथ एक रात में 80 बार सेक्स करने का अजीबो-गरीब कारनामा तो रूमी ने किया ही, उनका दरवेश शम्सुद्दीन नाम के एक शख्स के साथ भी जिस्मानी रिश्ता था। बताया जाता है कि रूमी ने शम्सुद्धीन के साथ चालीस दिन बिताए और वो उनके प्यार में दीवाने थे।
1273 में रूमी का इंतकाल हो गया और उन्हें तुर्की स्थित कोनया में दफनाया गया है।
खैर, रबिसंकर बहल की किताब की बात में कितनी सच्चाई है, ये तो हम कह नहीं सकते, हां इतना ज़रूर है कि किताब पढ़ने के बाद रूमी ऐसे कई लोगों के लिए भी रोल मॉडल बन गए होंगे जिनका आध्यात्म से दूर–दूर तक कोई रिश्ता नहीं है।