शोधकर्ताओं की एक टीम ने मृत्यु और ब्लड प्रैशर को सीधे-सीधे रिश्तों की गुणवत्ता से जोड़ा है। जानिए कैसे?
जहां कई शोधों से पता चला है कि तनाव और नकारात्मक दाम्पत्य जीवन मृत्यु और रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है, वहीं ऐसा कोई शोध आज तक नहीं हुआ है जो बताए कि दम्पत्तियों पर वक्त के साथ-साथ इसका कैसा प्रभाव पड़ता है।
सिस्टोलिक ब्लड प्रैशर को पैमाना बनाते हुए, ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ये आंका कि क्या किसी व्यक्ति का रक्तचाप उसके अपने या फिर जीवन साथी के जीर्ण तनाव से प्रभावित होता है और क्या इन स्वरूपों में लैंगिक असमानताएं होती हैं।
इस शोध में कई सवाल उठाए गए, मसलन– क्या जीर्ण तनाव रक्त चाप की निशानी है?
क्या पत्नियों और पतियों में जीर्ण तनाव और ब्लड प्रैशर के बीच का संबंध अलग-अलग है?
क्या नकारात्मक दाम्पत्य गुणवत्ता भी रक्तचाप की निशानी है? क्या ये संबंध भी लिंग के आधार पर अलग-अलग होता है?
क्या नकारात्मक दाम्पत्य गुणवत्ता तनाव-रक्त चाप संबंध को नियंत्रित करती है?
और क्या नकारात्मक दाम्पत्य गुणवत्ता का नियंत्रक प्रभाव पत्नियों और पतियों में अलग-अलग होता है?
ये शोध ये भी बताता है कि जब वैवाहिक संबंधों और स्वास्थ्य का आंकलन किया जा रहा हो तो दम्पत्ति को एक मानकर चलना चाहिए ना कि पति और पत्नी को अलग-अलग।
शोध में खास कर ये कहा गया कि पत्नी का तनाव पतियों के रक्तचाप को ज्यादा प्रभावित करता है, खास कर नकारात्मक दाम्पत्य संबंधों में। नकारात्मक दाम्पत्य गुणवत्ता के प्रभावों पर खास ध्यान देते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि जब किसी व्यक्ति की अलग से जांच की गई तब ये प्रभाव नहीं देखे गए, लेकिन जब जोड़े से साथ बातचीत की गई तो ये प्रभाव दिखे।
शोध की प्रमुख लेखर कीरा एस बर्डिट ने कहा कि वो इन परिणामों को पाकर काफी उत्साहित थे क्योंकि इनसे पता चलता है कि तनाव और नकारात्म दाम्पत्य गुणवत्ता के प्रभाव वास्तव में जोड़े पर निर्भर करते है, एक व्यक्ति पर नहीं।
बर्डिट ये भी कहती हैं कि व्यक्ति का शारीरिक क्रिया विज्ञान ना सिर्फ उसके अपने अनुभवों पर निर्भर करता है बल्कि उनके जीवन साथी के अनुभव और अनुभूति से भी जुड़ा है। वो इस बात पर ज्यादा मंत्र मुग्ध थे कि पति पत्नियों के तनाव के प्रति ज्यादा संवेदनशील थे जबकि आज तक के शोध यही बताते आए हैं कि पत्नियां पतियों के तनाव से ज्यादा प्रभावित होती हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक ये परिणाम इसलिए भी हो सकते हैं क्योंकि पति सहारे के लिए पत्नियों पर ज्यादा निर्भर होते हैं और जब पत्नियां तनाव में होती हैं तब उन्हें वो सहारा नहीं मिल पाता।