आप चाहें फिर भी ये लक्षण छुपा नहीं पाएंगे। जो बच्चे छोटे शहरों से आते हैं वह असली दुनिया की बहुत सी सच्चाइयों से अनजान होते हैं।
उनकी ज़िंदगी बहुत धीमी गति से चलती है, अकेलापन और एकांत इन्हे अच्छा लगता है। कुछ भी रोमांचक नहीं होता इनकी ज़िंदगी में।
इसका तातपर्य यह नहीं कि यह बच्चे किसी से कम हैं या स्वभाविक तौर पर बड़े शहरों के बच्चों से पीछे हैं..!! हम तो सिर्फ इतना कह रहे हैं कि यह बच्चे मन के साफ़ और खुश मिज़ाज होते हैं और एक सादगी भरा जीवन जीने में विश्वास रखते हैं।
जानते हैं कि यदि आप एक छोटे शहर से आए हैं तो…
1. सभी को आपका नाम पता है और जिन्हें नहीं पता वह आप को शर्माजी के सपुत्र कह के बुलाते हैं
2. आप आम तौर पर बिना दरवाज़े को ताला लगाए ही सैर करने निकल जाते हैं
3. आस पड़ोस, माँ-बाप यहाँ तक की सारा शहर आपके उच्च विद्यालय फुटबॉल टूर्नामेंट को बहुत गंभीरता से लेता है
4. सिनेमा जाना, बाहर खाना खाना या शॉपिंग करने को ऐश परस्ती समझा जाता है
5. आपके पिताजी किसी के भी घर के सामने गाड़ी लगा कर चले जाएँ तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होती
6. मेलजोल और चुगलियां सिर्फ शादी, गरबा रात्रि या शोक समारोह तक सीमित रहती हैं
7. आप पूछने पर भी अपने शहर का नाम नहीं बताते
8. आप बात घुमाते हुए कह देते हैं कि – मैं बंगलूरू से सिर्फ दो घण्टे की दूरी पर रहता हूँ
9. इस बात में कोई हैरानी नहीं होगी अगर आपको गाय का दूध दुहना आता हो – अरे सच..!!
10. रास्ता बताते हुए आप दाएं-बाएं की बजाए शहर के जाने-माने स्थल चिन्ह ज़्यादा बताते हैं…जैसे की गांधीजी की मूर्ति या बेकरी के पास में…
11. यदि आपने किसी का नंबर गलत मिला दिया तो हो ये भी सकता है कि वह स्वयं आपको सही नंबर भी बता दें
12. किरयाने वाले ने आपको ब्रेड और दूध भेजा और वो भी आपके क्रेडिट कार्ड को स्वाइप किये बिना
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